बल-आघूर्ण-
जब किसी पिन्ड को पिन्ड के किसी बिंदु पर स्थिर करके पिन्ड के किसी अन्य बिन्दु पर कोई बल लगाया जाता है तो , पिन्ड स्थिर बिन्दु के चारों ओर घूमने लगता है या घूमने का प्रयास करता है!
क्रिया बिंदु से बल की दिशा में खींची गयी सरल रेखा को बल की क्रिया रेखा कहते हैं ! बिंदु से लम्बवत गुजरने वाली रेखा जिसके परितः पिण्ड घूमता है , घूर्णन अक्ष कहलाता  है ! बल आघूर्ण का प्रभाव पिण्ड को किसी अक्ष के परितः घुमाना होता है  !
इसे  τ ( टा ) से दर्शाते हैं ,

बल आघूर्ण = बल का परिमाण x स्थिर बिंदु से बल की क्रिया रेखा की लम्बवत दुरी 
         
τ = F x d    (मात्रक -- न्यूटन मीटर)

इससे स्पष्ट है कि -
१) . बल का परिमाण जितना अधिक होगा , बल आघूर्ण का मान उतना अधिक होगा 
२) . घूर्णन बिंदु से क्रिया रेखा की लम्बवत दुरी जीतनी अधिक होगी , बल आघूर्ण उतना अधिक होगा 
३) . d = ० के लिए बल आघूर्ण का मान शून्य होगा  

बल - आघूर्ण के उदाहरण --

दरवाजा , घर की आटा चक्की , कुम्भार का वृत्तीय चाक 

आघूर्णो का नियम -
यदि किसी अक्ष के परितः घूमने के लिये स्वतन्त्र कोई पिण्ड कई बलों के लगने पर भी सन्तुलन में हो तो इस अक्ष के परितः इन बलों के आघूर्णो का बीजगणितीय योग शून्य होता है !

    Sum of Moment of Force (Left Side) = Sum of Moment of Force (Right Side)



F1 * X1 = F2 * X2

समान्तर बल -

वे बल जिनकी क्रिया रेखायें भिन्न - भिन्न होती हैं परन्तु एक ही दिशा में होती हैं , समान्तर बल कहलाते हैं !

एक ही दिशा में कार्य करने वाले दो बल अनुदिश समान्तर बल तथा विपरीत दिशा में कार्य करने वाले दो बल विपरीत समान्तर बल कहलाते हैं !

बल युग्म --

विपरीत दिशाओं में लगे दो बराबर तथा समान्तर बलों के जोड़े को , जिनकी क्रिया रेखायें एक सीध में न हों , बल युग्म कहते हैं !

 बल युग्म का आघूर्ण = बल x बल युग्म की भुजा 
 Couple = F * (x1+x2)